बेरोजगारी हमारी देश की बहुत बड़ी समस्या है इस समस्या के निदान के लिए देश के जिम्मेदार साथियों , प्रतिभा संपन्न एवं हुनरमंद लोगों को को आगे आना होगा नहीं तो इस देश में समता न्याय बंधुत्व की बात करना बेमानी होगी। देश के गरीबों को आजादी मिल गई लेकिन आज भी आर्थिक आजादी से इस देश की 90% जनता गुलाम है इस गुलामी को तोड़ने के लिए देश के नौजवानों को क्रांति स्वरूप सकारात्मक दिशा में चलते हुए देश के विकास के लिए निरंतर सोचते हुए अपने साथ दूसरों के विकास करने की जरूरत पर बल दिए जाने की आवश्यकता है एक तरफ एक व्यक्ति रात दिन एक करके विश्व स्तर पर अपना नाम जमाने का काम करता है दूसरी तरफ गरीब गरीब होता जा रहा है यह समानता देश के विकास के लिए बहुत ही बाधक है हम सबको केवल दूसरों पर दोषारोपण करके अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कर लेना ही श्रेयष्कर मान लेना बहुत ही अहितकारी है हर लोगों में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा है उस उर्जा को वितरित करते हुए जिस प्रकार सूर्य करोड़ों सितारों और चंद्रमा को प्रकाशित करने का काम करता है उसी प्रकार ज्ञान रूपी प्रकाश से हर लोगों को एक दूसरे में प्रकाश फैलाने की जरूरत है हमारे अंदर जो अच्छा हुनर है उस हुनर को दूसरे के अंदर पैदा करने करने के लिए दृढ़ संकल्पित होना चाहिए इस देश का भविष्य किसी एक व्यक्ति द्वारा किसी भी रूप में नहीं संवारा जा सकता बल्कि देश की दिसावर दिशा और दशा यहां के प्रत्येक संवेदनशील जिम्मेदार नागरिक ही बदल सकते हैं इस लोकतांत्रिक देश में प्रत्येक लोगों को अपनी जिम्मेदारी को महसूस करते हुए देश की बेरोजगारी और बेकारी से लड़ने के लिए सामूहिक रूप से प्रयास की जरूरत है। हम बहुत कुछ नहीं कर सकते परंतु कुछ करने की शक्ति सबके अंदर सन्निहित है इसलिए अंदर की संरक्षित ऊर्जा का सदुपयोग करते हुए सकारात्मक दिशा में प्रयासरत रहना चाहिए, सरकारों को भी इस दिशा में सकारात्मक प्रयास करते हुए आम जनता को जोड़ते हुए आज की नई गाथा लिखते हुए विश्व में भारतवर्ष के विश्व गुरु की संज्ञा को पुनः वापस लाने की जरूरत है। जब देश का इंजीनियर अपने कौशल के माध्यम से लोगों को रोजगार एवं हुनर पैदा करने का काम करेगा तथा देश का डॉक्टर चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन करते हुए लोगों की सेवा करते हुए सेवकों की फौज तैयार करेगा कृषि वैज्ञानिक कृषकों को उचित सलाह और आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग करने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हुए उसे धरातल पर लाएगा तो किसी भी रूप में इस देश को विकास के मूल धारा से नहीं रोका जा सकता है। राष्ट्र भारत में आजादी के बाद बहुत कुछ प्रगति हुई लेकिन यह प्रगति अन्य देशों के प्रगति के हिसाब से ना काफी है। आज बड़े देश को बड़े देश के हिसाब से अपनी तैयारी करने की आवश्यकता है। समय रहते अगर हम नहीं चाहते तो हमें उसका खामियाजा भुगतना ही पड़ेगा। हम गांव में रहने वाले लोग अपने गांव के लोगों से अपनी तुलना करते हैं महानगरों में रहने वाले लोग महानगरों के लोगों से तुलना करते हैं लेकिन देश में रहने वाले प्रत्येक लोगों को दूसरे देश के लोगों से तुलना करने की जरूरत है तब हम अपने को देख सकते हैं कि हम कहां पर खड़े हैं छोटे छोटे देश जिनकी आबादी हमारे 1 जिले के बराबर है वह भी टेक्नोलॉजी में हमसे बहुत आगे हैं। यह कहीं न कहीं हमारे काबिलियत पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं इसके जिम्मेदार कौन हैं? उन्हें जिम्मेदारी लेना ही पड़ेगा हमारे देश की संस्कृति हमेशा ‘वसुधैव कुटुंबकम’ रही है। जब हम पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं तो हमारी जिम्मेदारी भी उतना ही बड़ा है हमारा दर्शन और विचार है। इस दर्शन और विचार को यथार्थ में उतारने के लिए पूरे विश्व को परिवार बनाने की क्षमता को भी विकसित करना पड़ेगा। खास तौर से देश के नौजवान साथियों से अपील है कि नौजवान अपने सकारात्मक उर्जा को उर्जित करते हुए राष्ट्र भारत को पुनः विश्व गुरु का दर्जा दिलाने हेतु संकल्पित होकर कर्ता के भावना से आगे बढ़ने का काम करें। देश में कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एक खास नीति बनाकर के औद्योगिक क्रांति के लिए देश और प्रदेश की सरकारों को विचार करना चाहिए। सरकारों को विचार करवाने के लिए देश के साहित्यकार बुद्धिजीवियों, नौजवानों, विद्यार्थियों, किसानों, मजदूरों, महिलाओं, छात्रों सबको आगे आना पड़ेगा। फिर इस राष्ट्र की प्रगति कोई रोक नहीं सकता । और बेरोजगारी प्रकाशरूपी रोजगार से भागने के लिए बाध्य हो जायेगी l
सादर आभार रमेश यादव