जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण प्रोत्साहन कार्यक्रम-
मानव सेवा समिति की ओर से श्री महादेव जी एस के रूंगटा स्पेशल स्कूल औढ़ारी गाजीपुर में 5 जून को सभागार हॉल में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसका शुभारंभ श्री महादेव जी रामाधार दिव्यांग शिक्षण प्रशिक्षण केंद्र औढ़ारी गाजीपुर के I.D.D. कोर्स कोआर्डिनेटर रवि प्रकाश शुक्ला ने पौधे का वृक्षारोपण एवं दीप प्रज्वलित करके किया।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए श्री महादेव जी एस के रुंगटा स्पेशल स्कूल के प्रधानाध्यापक अजीत कुमार गुप्ता ने पर्यावरण दिवस के इतिहास से लेकर वर्तमान स्थिति को साझा किया। उन्होंने बताया कि विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत वर्ष 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान हुई थी।
सारी दुनिया में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
इस दिन लोग स्टॉकहोम, हेलेंसकी, लंदन, वियना, क्योटो जैसे सम्मेलनों और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, रियो घोषणा पत्र, और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम इत्यादि को याद करते हैं। गोष्ठियों में संपन्न प्रयासों का लेखा जोखा पेश किया जाता है, अधूरी कामों पर चिंता व्यक्त की जाती है एवं समाज का आह्वान एवं जागरूक किया जाता है।
आज हम आपको पर्यावरण प्रदूषण का किस्सा सुनाते हैं -वैज्ञानिक बताते हैं कि लगभग 6.5 करोड़ साल पहले धरती पर डायनासोरों की बहुतायत थी।
फिर अचानक ही वे विलुप्त हो गए अब केवल उनके अवशेष ही मिलते हैं। उनके विलुप्त होने का सबसे अधिक मान्य कारण बताता है कि उनकी सामूहिक मौत आसमान से आई। लगभग 6.5 करोड़ साल पहले धरती से विशाल धूमकेतु या छुद्र ग्रह टकराया। उसके धरती से टकराने के कारण वायुमंडल की हवा में इतनी अधिक धूल और मिट्टी घुल गई कि धरती पर अंधकार छा गया। सूर्य की प्रकाश के अभाव में वृक्ष अपना भोजन नहीं बना सके और अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए।
भूख के कारण उन पर आश्रित शाकाहार डायनासोर एवं अन्य जीव जंतु भी मारे गए।
संक्षेप में, सूर्य की रोशनी का अभाव एवं वातावरण में धूल एवं मिट्टी की अधिकता ने धरती पर महाविनाश की इबारत लिख दी।
आधुनिक युग में वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण,तापीय प्रदूषण,विकिरण प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण, समुद्री प्रदूषण, नगरीय प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण, प्रदूषित नदियां एवं जलवायु बदलाव तथा ग्लोबल वार्मिंग के खतरे लगातार दस्तक दी रहे हैं। ऐसी हालत में इतिहास की चेतावनी ही पर्यावरण दिवस का संदेश लगती है।
पिछले कुछ सालों मे पर्यावरणीय चेतना बढी है तथा विकल्पों पर गंभीर चिंतन हुआ है । ऐसा माना जाने लगा है की पर्यावरण को न्यूनतम हानि पहुंचाए टिकाऊ विकास संभव है।
कार्यक्रम के अन्त में स्पेशल स्कूल के विशेष दीपक गिरी ने सभी सदस्यों को इस भव्य आयोजन के लिए धन्यवाद दिया।