स्कूल मत लिखो भाई
——————— सद्भावना गीत
कांट को कांटा लिखो फूल मत लिखो भाई।
प्यार में फूल को रसूल मत लिखो भाई।
आदमी है तो वह भूल भी कर सकता है,
आदमी को कभी मकबूल मत लिखो भाई।
जहाँ जैसा दिखाई दे लिखो बिना भय के,
धुआं उठा है तो निर्मूल मत लिखो भाई।
जिससे गुजरे अमर शहीद धूल चन्दन है,
भूलकर उसको कभी धूल मत लिखो भाई।
यह गुजारिश है मेरी सिर्फ कलमकारों से,
गलत और झूठ को उसूल मत लिखो भाई।
रहो बाएं का पुजारी उसे अधिक पूजो,
रोज दाएं को ही फिजूल मत लिखो भाई।
चन्द सिक्को के लिए महल की खुशामद में,
आम के पौधे को बबूल मत लिखो भाई।
जहाँ किताब में नफरत की पढ़ाई होवे,
उसे कुछ भी लिखो स्कूल मत लिखो भाई।
मैं भी भटका हूँ कई बार सच के पथ से,
हर सुबह मुझको बाउसूल मत लिखो भाई।
-धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव
संरक्षक मानव सेवा समिति सिखड़ी गाजीपुर